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SAI DHAM NEWS

SAI DHAM INSIDE VIEW
Introducation of Sai Dham jodhpur

                  एक वादा खुद से, एक सपना जो जाग्रति आखों से देखा गया हो, एक आस्था जो जिन्दगी के हर गम से हर खुशी तक बसी हो, एक सिलसिला जो उसी के नाम से प्रारम्भ होता है और विराम भी उसी के नाम पर लेना चाहता है। अध्यात्क जहॉं दिलों में बसता है, प्रेम का ज्वार जो सासों मे उमड़ता है, भार्इचारा जो खुन में बसता है, अपनापन जो मौत के भी नहीं मिटता ऐसा ही है शहर हमारा सुर्यनगरी जोधपुर (राजस्थान) राव जोधा द्वारा बसाया गया शहर अपनत्व की भाषा, मेहमानवाजी, खान पान, रहन सहन, आपसी भार्इचारा, सम्पन्नता न जाने कितनी विशेषाताएं अपने में समेटे हुए है। इस शहर वासियों की र्शिडी तथा सार्इबाबा से न जाने कौन से जन्म का नाता है। तभी तो हजारो किलोमीटर र्शिडी से दूर होते हुए भी कर्इ दशको से सुर्यनगरी के भक्तों की आत्मा है ‘‘सार्इ’’ उनके जिन्दगी का आधार है। ‘‘सार्इ’’ र्शिडी जैसा पावन सार्इ बाबा का धाम सुर्यनगरी जोधपुर से भी बने ऐसा सपना सुर्यनगरी के सभी सार्इभक्तों पिछले कर्इ वर्षो से संजोये हुये थे फिर एक वो समय आया जब सुर्यनगरी के सभी सार्इ भक्त उक ही छत के नीचे एकत्र हुए और इस तरह ‘‘सुर्यनगरी श्री सार्इनाथ सस्थान’’ का उदय हुआ।

सस्थान के उद्धेश्य

sai_baba_original_photo_colour                 बाबा के जीवन की या तो हर धटना अपने आप में एक संदेश लिए हुए होती है। पर आप बाबा से जुडे़ कुछ तथ्य खास ही है। ‘‘श्रद्धा - सबुरी’’, सबका मालिक एक, अल्लाह मालिक है इत्यादि कहते बाबा जब किसी मस्जिद में जाते थे तो वहा वो गीता - रामायण के श्लोकों का उचारण किया करते थे। वही जब बाबा किसी मन्दिर में जाते थे तो वहॉं अनायास उनके मुख से कुरान की आयतों का उच्चारण होता था अर्थात् बाबा का एक सन्देश स्पष्ट था वो था ‘‘इन्सानियत’’ का इन्सान से इन्सान के रिश्तों का, एक ऐसा रिश्ता जो धर्म, मजहब, भाषा, जाति, प्रान्त सभी के बेडियों से परे हो, आदमी की पहचान हो लगभग इसी तरह के उद्धेश्यों के साथ सुर्यनगरी श्री सार्इनाथ का उदय हुआ इनमे से प्रमुख है।

  • सुर्यनगरी की पावन भूमि पर संस्थान द्वारा एक भूखण्ड खरीदना तथा उसे सार्इधाम के नाम से विकसित करना।
  • सार्इधाम से शिडऱ्ी की तर्ज पर गुरूस्थान, द्वारका मार्इ, चावडी तथा एक सर्वधर्म प्रार्थना स्थल का निर्माण करवाना जिसमें बाबा की एक प्रतिमा स्थापित हो तथा इस जगह रह धर्म के सार्इ भक्तो को अपने - अपने तरीके से अर्चना करने का अधिकार हो।
  • सार्इधाम परिसर में बाहर से आने वाले सार्इभक्तों के हेतु विश्रामालय तथा धर्मशाला का निर्माण करवाना।
  • सार्इधाम परिसर में निराश्रित वृद्वाश्रम का निर्माण कर उसे जन कल्याण हेतु संचालित करना।
  • सार्इधाम परिसर में ही अनाथ बच्चों के पालन हेतु अनाथालय का निर्माण कर, उसे जन कल्याण हेतु संचालित करना।
  • संस्थान द्वारा सार्इधाम परिसर में एक अन्तर्राष्ट्रिय स्तर की वाचनालय का निर्माण कर उसमे विश्व में प्रचलित सभी धर्मो के ग्रन्थ, महान साहित्यकारों के विभिन्न साहित्य व अन्य ज्ञानवर्धक किताबों का संग्रह कर उसे आम जन हेतु उपलब्ध करवाना।
  • संस्थान द्वारा अन्र्राष्ट्रिय स्तर का कैंसर अस्पताल का निर्माण कर उसे जन कल्याण हेतु संचालित करना जिससे आम जन सस्ता व सुगम र्इलाज मिल सके।